दिनभर की नौकरी नहीं, सिर्फ आने-जाने का समय दर्ज होगा; तनख्वाह 1.62 लाख रु. महीना

गोटेनबर्ग. स्वीडन में सरकारी फंड से एक रेलवे स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है। यह एक आर्ट प्रोजेक्ट है जो 2026 में पूरा होगा। इसमें नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारी का काम केवल आने-जाने का समय दर्ज कराना होगा। इसके लिए 2320 डॉलर (करीब 1.62 लाख रुपए) प्रतिमाह की सैलरी होगी। साथ में भत्ते, छुट्टियां और पेंशन भी मिलेगी। इस प्रोजेक्ट से जुड़े कलाकार के मुताबिक, इस पद के लिए 2025 तक कोई आवेदन नहीं लिए जाएंगे। जब स्टेशन का निर्माण अंतिम दौर में होगा तो इससे संबंधित विज्ञापन ऑनलाइन देना होगा।

नौकरी की गारंटी होगी
कर्मचारी को हर सुबह रेलवे स्टेशन पर पहुंचना होगा। यात्रियों और आगंतुकों की मदद के लिए प्लेटफार्म पर लाइट जलाना और बंद करना होगी। बीच के समय में कर्मचारी अपना मनमाफिक काम कर सकता है।उसे स्टेशन पर रुकने की कोई बाध्यता नहीं है। कर्मचारी जब चाहे, नौकरी छोड़ सकता हैं। रिटायरमेंट ले सकता है। हालांकि उनकी यह नौकरी जीवनभर बने रहने की गारंटी है। नौकरी के लिए कोई खास योग्यता नहीं चाहिए। इसके लिए दुनियाभर से कोई भी आवेदन कर सकता है। जॉब में किसी तरह की कोई जिम्मेदारी या ड्यूटी जैसा कुछ नहीं है।

बिना काम की तनख्वाह मिलेगी
2017 में स्वीडन की पब्लिक आर्ट एजेंसी और स्वीडिश ट्रांसपोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा आयोजित की गई। इसके तहत नए स्टेशन की डिजाइन के लिए कलाकारों से आवेदन मांगे गए। इसके विजेता को 7 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (करीब 5.24 करोड़ रुपए) की प्राइज मनी तय की गई। स्वीडिश कलाकारों की जोड़ी साइमन गोल्डिन और जैकब सेनेबी ने यह प्राइज जीता। दोनों ने तय किया कि वे इस प्राइज मनी को एक कर्मचारी को सैलरी के तौर पर देंगे, जिसे पूरे दिन कोई काम नहीं करना होगा।

कला को लोग गैर-जरूरी मानते हैं
गोल्डिन और सेनेबी इस बात को मानते हैं कि किसी व्यक्ति का दिन में दो बार आकर स्टेशन पर पंच करना एक गैर-जरूरी सा काम है। यह हमारा एक विचारभर था। कई लोग आर्ट को बेकार मानते हैं। गोल्डिन और सेनेबी यह भी सुझाव देते हैं कि निरर्थक कार्य उदासीनता, अकर्मण्यता और ऊब पैदा कर सकता है।

मुंबई. पीएनबी घोटाले के आरोपी और फरार हीरा कारोबारी नीरव मोदी का अलीबाग स्थित बंगला शुक्रवार को ढहा दिया गया। इसमें 30 किलो डायनामाइट का इस्तेमाल किया गया। समुद्र तट के पास बने इस बंगले की कीमत करीब 100 करोड़ रुपए थी। इसे तोड़ने का काम 25 जनवरी से शुरू हुआ था, लेकिन काफी मजबूत होने की वजह से इसे डायनामाइट से ढहाने का फैसला किया गया।

प्रशासन के मुताबिक, यह बंगला अवैध तरीके और तटीय मानदंडों का उल्लंघन करके बनाया गया था। नीरव को 2011 में 376 वर्ग मीटर में बंगला बनाने की इजाजत मिली थी। लेकिन उसने नियम तोड़ते हुए 1081 वर्ग मीटर में निर्माण करवाया। कई बेडरूम और हॉल वाले इस बंगले में फर्स्ट फ्लोर पर 1000 वर्ग फीट का स्वीमिंग पूल भी है। नीरव ने इस बंगले के बाहर अवैध तरीके से एक गार्डन भी बनवाया था। 

रिमोट के जरिए किया गया धमाका
गुरुवार को बंगले के पिलरों में छेद कर डायनामाइट लगाने का काम पूरा कर लिया गया। इन्हें एक रिमोट के सहारे जोड़ा गया था। एक बटन दबाते ही यह बंगाला जमीन पर आ गया।

प्रवर्तन निदेशालय ने बंगला ढहाने के खिलाफ दायर की थी याचिका
इस बंगले को ढहाने के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। ईडी का कहना था कि यह पीएनबी घोटाले के मामले में जब्त संपत्तियों में है। हालांकि, बाद में जांच एजेंसी ने इसे स्थानीय प्रशासन को सौंप दिया था।

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