उम्र 100 साल, कहती हैं- भारत में सीखा योग मेरी सेहत का राज
न्यूयाॅर्क. हार्टस्डेल में रहने वाली योग इंस्ट्रक्टर पोर्सो लिंच की उम्र बेशक 100 साल है, लेकिन उनका जोश ऐसा है कि अभी रुकने का कोई इरादा नहीं दिखता। उनके जीवन का मूलमंत्र है, जिंदादिली और स्वस्थ तरीके से जीवन को आगे बढ़ाते रहो। बेशक चार बार उनके कूल्हे का प्रत्यारोपण हो चुका है, लेकिन लिंच अभी भी बाॅलरूम डांसिंग की शौकीन हैं। लिंच भारत में जन्मी थीं। अनुकरणीय उपलब्धियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था।
7 साल की उम्र में भारत में सीखा योगः लिंच
वे बताती हैं कि कैसे उनका रुझान योग की तरफ हुआ। 7 साल की उम्र में भारत में समुद्र तट पर घूमते हुए उन्होंने कुछ लड़कों को योग करते देखा। तभी उन्होंने उनके जैसे स्टेप्स करने की ठानी।
लिंच का कहना है कि एक नजदीकी रिश्तेदार ने उन्हें यह कहकर रोका कि यह लड़कों के स्टेप्स हैं, लेकिन लिंच का जवाब था कि जब लड़के ऐसा कर सकते हैं तो वह क्यों नहीं। उसके बाद से योग में उन्होंने महारथ हासिल की।
लिंच जब किशोरावस्था में पहुंचीं तो वह लोगों को यह बता पा रही थीं कि कैसे स्वस्थ तरीके से सांस ली जाती है। विशेषकर उन लोगों को, जिनके उठने-बैठने का तरीका काफी गलत था। लिंच का कहना है कि ऐसे लोगों को वह समझाती थीं कि उनके फेफड़े पेट में नीचे की तरफ नहीं बल्कि उससे ऊपर हैं।
सूर्य के सामने खड़े अपना हौसला बढ़ाती हैं
लिंच अपना मनोबल बढ़ाने के लिए वह रोज सुबह उठकर सूर्य के सामने खड़ी होती हैं और फिर उसे देखकर कहती हैं कि आज उनकी जिंदगी का सबसे बेहतरीन दिन आने वाला है। उनका कहना है कि वाकई में उनका दिन शानदार होता है।
13 अगस्त को 101 साल की होने जा रहीं लिंच के लिए सबसे बड़ा संबल उनके विद्यार्थी हैं। वह एक वाइन सोसायटी की भी सदस्य हैं। जब भी वे अकेली होती हैं, उनके पुराने और नए विद्यार्थी हौसला बढ़ाते हैं। उनसे योग के गुर सीखने वाली सिल्विया सेमिल्टन बेकर का कहना है कि लिंच का जीवन एक योग पथ है।
उनका कहना है कि सांसें हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। उन्हें सुनो। अपने फेफड़ों को फूलता हुआ महसूस करो और फिर दोनों हाथ ऊपर उठाकर ऊर्जा का अनुभव करो। उनका मंत्र है- सांसों में जीवन और शांति का अनुभव करो।
7 साल की उम्र में भारत में सीखा योगः लिंच
वे बताती हैं कि कैसे उनका रुझान योग की तरफ हुआ। 7 साल की उम्र में भारत में समुद्र तट पर घूमते हुए उन्होंने कुछ लड़कों को योग करते देखा। तभी उन्होंने उनके जैसे स्टेप्स करने की ठानी।
लिंच का कहना है कि एक नजदीकी रिश्तेदार ने उन्हें यह कहकर रोका कि यह लड़कों के स्टेप्स हैं, लेकिन लिंच का जवाब था कि जब लड़के ऐसा कर सकते हैं तो वह क्यों नहीं। उसके बाद से योग में उन्होंने महारथ हासिल की।
लिंच जब किशोरावस्था में पहुंचीं तो वह लोगों को यह बता पा रही थीं कि कैसे स्वस्थ तरीके से सांस ली जाती है। विशेषकर उन लोगों को, जिनके उठने-बैठने का तरीका काफी गलत था। लिंच का कहना है कि ऐसे लोगों को वह समझाती थीं कि उनके फेफड़े पेट में नीचे की तरफ नहीं बल्कि उससे ऊपर हैं।
सूर्य के सामने खड़े अपना हौसला बढ़ाती हैं
लिंच अपना मनोबल बढ़ाने के लिए वह रोज सुबह उठकर सूर्य के सामने खड़ी होती हैं और फिर उसे देखकर कहती हैं कि आज उनकी जिंदगी का सबसे बेहतरीन दिन आने वाला है। उनका कहना है कि वाकई में उनका दिन शानदार होता है।
13 अगस्त को 101 साल की होने जा रहीं लिंच के लिए सबसे बड़ा संबल उनके विद्यार्थी हैं। वह एक वाइन सोसायटी की भी सदस्य हैं। जब भी वे अकेली होती हैं, उनके पुराने और नए विद्यार्थी हौसला बढ़ाते हैं। उनसे योग के गुर सीखने वाली सिल्विया सेमिल्टन बेकर का कहना है कि लिंच का जीवन एक योग पथ है।
उनका कहना है कि सांसें हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। उन्हें सुनो। अपने फेफड़ों को फूलता हुआ महसूस करो और फिर दोनों हाथ ऊपर उठाकर ऊर्जा का अनुभव करो। उनका मंत्र है- सांसों में जीवन और शांति का अनुभव करो।
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